हम सामान्य ईलाज के लिए भी देश के बड़े शहरों में जाते हैं और अगर वहाँ भी समुचित ईलाज नहीं मिलता है तो हमें भेलौर या दिल्ली के एम्स (AIIMS) ही जाना पड़ता है। बड़े शहर के प्राइवेट अस्पताल में ईलाज कराना एवं उनका खर्चा वहन करना हम जैसे सामान्य वर्ग के लोगों की बस की बात नहीं है।
भेलौर मात्र एक अस्पताल का नाम नहीं है बल्कि भेलौर जनमानस के लिए समुचित ईलाज की व्यवस्था की विश्वसनीयता का प्रतीक है। सच सही एवं ईमानदार ईलाज एवं सेवा भावना के लिए जाना जाता है। यह देखा गया है कि भेलौर जाने वाले 10 लोगों में से 7 लोगों का ईलाज मात्र सही जाँच एवं डॉक्टर की उचित सलाह से ही ठीक हो जाता है। मात्र 3 लोग हैं जिनकी समस्या गंभीर होती है एवं उन्हें (Intensive care) गहन देखभाल या (Critical Care) नाजुक देख-देख एवं भर्ती होकर ईलाज की जरूरत पड़ती है।
कम से कम अगर सही जांच एवं डॉक्टर की उचित सलाह की व्यवस्था यदि हमारे यहां हो जाती है तो 10 में से 7 लोग भेलौर जाने से बच जाएंगे। और यदि भेलौर जैसी सारी सुविधाओं वाली अस्पताल हमारे यहाँ बन जाता है तो हमें कहीं भी जाने की जरूरत नहीं होगी। भेलौर के हमारी झारखण्ड में आने से न ही सिर्फ झारखण्ड के लोग लाभान्वित होंगे बल्कि बिहार, बंगाल एवं उड़ीसा के लोग भी इसका लाभ उठा पाएंगे।
बोकारो पहले से ही स्वच्छ, सुव्यवस्थित शहर के रूप में जाना जाता है। एक समय था जब बोकारो का अस्पताल बिहार, झारखण्ड में ईलाज के लिए सर्वोत्तम जाना जाता हैं आज उसकी हालत क्या है यह सर्वविदित है कहने की जरूरत नहीं है। और सबसे बड़ी बात की बोकारो हवाई सेवा से भी जुड़ा हुआ है और जैसी जानकारी मिल रही है बहुत जल्द एयरपोर्ट से यात्री उड़ान की सेवा शुरू होने जा रही है।
श्री संजीव सिंह जी ने सीएमसी भेलौर एवं एम्स जैसे अस्पताल को बोकारो-धनबाद क्षेत्र में लाने का पोस्टकार्ड अभियान चला रखा है । लोग इनके अभियान का पुरज़ोर समर्थन कर रहे हैं।
जब बोकारो में एम्स एवं सी.एम.सी जैसे अस्पताल आ जायेंगे, तो हमे इलाज के लिए दूसरे शहर नहीं जाना पड़ेगा।
जब संजीव सिंह जी के पिता जी, बोकारो जनरल अस्पताल में भर्ती हुए तो कोई लाईफ सपोर्ट एंबुलेंस नहीं था इतने बड़े अस्पताल में जिससे की वें अपने पिताजी को कहीं अन्य जगह ले जा सकते। ऐसा समस्या और किसी के साथ नहीं आये। इसके लिए संजीव सिंह जी ने Advance Life Support Ambulance बोकारो में ला रहे हैं।
स्कूली शिक्षा के बाद बोकारो में कोई आगे की उच्च शिक्षा का संस्थान नहीं है । बोकारो को बिहार झारखंड का शिक्षा एवं शैक्षणिक संस्थानों का केन्द्र बनाया जा सकता था। परन्तु यह शहर हमेशा उपेक्षित रहा। आज यह शहर कराह रहा है । किसी ने इस शहर की तकलीफ़ एवं पीड़ा पर कोई ध्यान नहीं दिया । हालात यह है कि यह शहर अपनी वयस्कता को बिना देखे बुढ़ापा की दहलीज़ पर आकर खड़ी हो गई है। इसलिए हमे बोकारो के शिक्षा व्यवस्था पर भी काम करना हैं